नूतन अब ऐसी परिस्थितियों में जीना नहीं चाहती थीं। नूतन अब ऐसी परिस्थितियों में जीना नहीं चाहती थीं।
तुम्हारा पत्र तुम्हारा पत्र
ना तुम्हारा है केवल खुदा का चमन बहारा हैं। क्यों बेकसूरों को इसके नाम संहारा हैं-----? ना तुम्हारा है केवल खुदा का चमन बहारा हैं। क्यों बेकसूरों को इसके नाम संहारा ...
कितना अंदर तक देखती हैं उसकी आँखें । मधुर सम्मोहित सा उसको देखता रह गया । कितना अंदर तक देखती हैं उसकी आँखें । मधुर सम्मोहित सा उसको देखता रह गया ।
अब लग रहा हे तुम जा रही हो,मन के गुप्प अंधेरे अंधियारे से निकल कही उजालो में खो सी रही अब लग रहा हे तुम जा रही हो,मन के गुप्प अंधेरे अंधियारे से निकल कही उजालो में खो ...
जब तक समझ पाएं हमें कहाँ जाना है कैसे जाना हैं ! देर हो जाती है जब तक समझ पाएं हमें कहाँ जाना है कैसे जाना हैं ! देर हो जाती है